भारतीय चिकित्सा विधान में सबसे प्राचीन और मान्य ग्रन्थ “चरक
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इसीलिए वैदिक चिकित्सा विधान में पुष्यामृत स्नान का विधान बताया गया है.
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चिकित्सा विधान (Medical law) कानून की वह शाखा है जो चिकित्सा व्यवसायियों के विशेषाधिकारों और उत्तरदायित्वों तथा रोगियों के अधिकारों से सम्बन्धित है।
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शरीर के इस तरह रोगग्रस्त होने पर अथर्ववेद के आध्यात्मिक चिकित्सा विधान द्वारा जलावसेचन, हस्तामिमर्श, मणिबन्धन, हवन एवं उपस्थान आदि करने से यथा अथर्ववेदीय मंत्रों द्वारा अभिमंत्रित औषधि, भेषज उपचार से मनुष्य रोग-दोष मुक्त होकर स्वस्थ और निरोग बनता है।